Next Story
Newszop

ठग बेहराम: भारत के सबसे कुख्यात सीरियल किलर की खौफनाक कहानी

Send Push
ठग बेहराम का आतंक

Famous Serial Killer

Famous Serial Killer

ठग बेहराम: 18वीं और 19वीं सदी का भारत एक सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक उथल-पुथल का समय था। इसी दौरान अवध क्षेत्र में एक ऐसा नाम उभरा जिसने अपने अपराधों से न केवल भारत बल्कि ब्रिटिश शासन को भी हिला दिया। वह नाम था ठग बेहराम, जिसे इतिहास का सबसे कुख्यात सीरियल किलर और 'ठगों का राजा' कहा जाता है। बेहराम का आतंक इतना गहरा था कि उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है और उसकी क्रूरता की कहानियाँ आज भी लोगों को सिहरन में डाल देती हैं।

आइए जानते हैं इसके पीछे की खौफनाक सच्चाई!


जन्म और प्रारंभिक जीवन जन्म, पृष्ठभूमि और शुरुआती जीवन

image


ठग बेहराम(Thug Behram) का जन्म 1765 के आसपास मध्य भारत के जबलपुर क्षेत्र (वर्तमान मध्य प्रदेश) में हुआ था। प्रारंभिक जीवन में वह एक सामान्य बालक था, लेकिन किशोरावस्था में उसकी मुलाकात सैयद अमीर अली नामक एक कुख्यात ठग से हुई। अमीर अली से उसने ठगी के सारे गुर सीखे और जल्द ही खुद भी ठगों के गिरोह का हिस्सा बन गया। लगभग 25 वर्ष की उम्र में बेहराम ने अपराध की दुनिया में कदम रखा और अगले कुछ वर्षों में वह ठगों का सरदार बन गया।
ठग पंथ और उनकी गतिविधियाँ ठग पंथ और अवध क्षेत्र में सक्रियता

ठग पंथ (Thuggee Cult) भारत में एक संगठित अपराध गिरोह था जो यात्रियों, व्यापारियों, सैनिकों और तीर्थयात्रियों को अपना शिकार बनाता था। ठगों का मुख्य उद्देश्य लूटपाट और हत्या था और इसके लिए वे अत्यंत सुनियोजित तरीके से काम करते थे। अवध क्षेत्र, जो उस समय व्यापार और तीर्थयात्रा का महत्वपूर्ण केंद्र था, ठगों की गतिविधियों का मुख्य क्षेत्र बन गया। ठग बेहराम इसी गिरोह का प्रमुख था जिसके गिरोह में लगभग 200 सदस्य शामिल थे।


हत्या का तरीका हत्या का तरीका - रुमाल और सिक्का

image


ठग बेहराम(Thug Behram) की हत्याओं का तरीका बेहद अनूठा और भयावह था। वह पीले रंग के रुमाल (rumal) का इस्तेमाल करता था जिसमें एक विशेष प्रकार का सिक्का या धातु का टुकड़ा बांध दिया जाता था। जब शिकार सो रहा होता या असावधान होता, तब बेहराम या उसके साथी गले में रुमाल डालकर सिक्के को गले की नली (एडम्स एप्पल) पर जोर से दबाते और पलभर में ही व्यक्ति का दम घुट जाता। यह तरीका इतना कारगर था कि शिकार को बचने का कोई मौका नहीं मिलता था और हत्या के बाद शव को या तो कुएं में फेंक दिया जाता या जमीन में गाड़ दिया जाता, जिससे पुलिस को लाशें तक नहीं मिलती थीं।
गिरोह की कार्यशैली अपराधों की भयावहता और गिरोह की कार्यशैली

image


ठग गिरोहों की सबसे ख़तरनाक और चौंकाने वाली विशेषता थी उनका दोस्ती और विश्वास की आड़ में हमला करना। बेहराम जैसे ठग बेहद चालाकी से यात्रियों के काफिले में शामिल हो जाते और खुद को सहयात्री या व्यापारी बताकर दोस्ती करते और धीरे-धीरे उनका भरोसा जीत लेते। यही उनकी सबसे घातक रणनीति थी। हत्या के लिए गिरोह के भीतर एक विशेष 'संकेत प्रणाली' विकसित की गई थी। कभी खाँसी की आवाज़, कभी कोई निश्चित वाक्य, तो कभी गीदड़ की आवाज़ जैसे संकेत मिलते ही हमला शुरू हो जाता। बेहराम या उसके साथी एक विशेष रुमाल का इस्तेमाल करते थे, जिसमें अक्सर एक सिक्का या लोहे का कड़ा बाँधा होता था। जैसे ही हमला करने का संकेत मिलता, वे उस रुमाल को बेहद तेजी और कुशलता से शिकार की गर्दन के चारों ओर लपेटते और कुछ ही पलों में उसका दम घोट देते थे।
हत्याओं की संख्या हत्याओं की संख्या और विवाद

ठग बेहराम के नाम पर 931 हत्याओं का आरोप है जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है। हालांकि ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर जेम्स पैटोन की रिपोर्ट के अनुसार बेहराम ने खुद स्वीकार किया था कि वह 931 हत्याओं में 'मौजूद' रहा। लेकिन उसने अपने हाथों से लगभग 125 लोगों की हत्या की थी और 150 अन्य हत्याओं को अपनी आंखों से देखा था। फिर भी उसकी संलिप्तता और गिरोह के नेतृत्व ने उसे इतिहास का सबसे खतरनाक सीरियल किलर बना दिया।


अंग्रेजी राज की प्रतिक्रिया अंग्रेजी राज की प्रतिक्रिया

image


जब अंग्रेजों को ठगों की इस सामूहिक हिंसा का पता चला, तो उन्होंने इसे महज चोरी या हत्या न मानकर एक राष्ट्रीय सुरक्षा संकट माना। ब्रिटिश सरकार ने कर्नल विलियम हेनरी स्लिमन (William Henry Sleeman) को 1830 के दशक में विशेष रूप से नियुक्त किया ताकि इस ‘ठग’ गिरोह को खत्म किया जा सके। स्लिमन ने इस गिरोह की तह तक जाकर सैकड़ों ठगों को गिरफ्तार कराया।
बेहराम की गिरफ्तारी बेहराम की गिरफ्तारी और कबूलनामे

image


ठग बेहराम की गिरफ्तारी भारत के अपराध इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक मानी जाती है। गिरफ्तारी के बाद उसने जो स्वीकारोक्ति दी, उसने ब्रिटिश हुकूमत को चौंका दिया। उसने बताया कि उसने स्वयं 125 से 150 लोगों की हत्या की थी लेकिन कुल मिलाकर 931 हत्याओं में वह सक्रिय रूप से शामिल था।
ठगों का पतन ठगों का पतन और ऐतिहासिक महत्व

image


ठग बेहराम की गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की पकड़ नहीं थी बल्कि भारत में फैले एक पूरे संगठित अपराध तंत्र के पतन की शुरुआत थी। उसकी गिरफ्तारी के बाद ब्रिटिश सरकार ने कैप्टन स्लीमैन के नेतृत्व में ठगों के विरुद्ध एक बड़ा और संगठित अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान सैकड़ों ठगों को पकड़ा गया, उनके नेटवर्क को तोड़ा गया और एक ऐसा अपराध पंथ जो वर्षों से आम लोगों में दहशत का कारण बना हुआ था लगभग समाप्त हो गया।
ठग बेहराम की विरासत ठग बेहराम की विरासत और सांस्कृतिक प्रभाव

ठग बेहराम की विरासत भारतीय अपराध इतिहास में केवल एक नाम नहीं बल्कि संगठित अपराध और क्रूरता का प्रतीक बन चुकी है। वह 'ठग संस्कृति' का सबसे कुख्यात चेहरा माना जाता है जिसने अपराध को धार्मिक विश्वास, रणनीति और संगठन के साथ जोड़कर एक अलग ही भयावह रूप दे दिया। दिलचस्प बात यह है कि अंग्रेजी में आज प्रचलित 'Thug' शब्द भी हिंदी के 'ठग' से ही लिया गया है। जिसका अर्थ है धोखेबाज़, लुटेरा या हत्यारा। यह शब्द अब अंतरराष्ट्रीय अपराध शब्दावली का हिस्सा बन चुका है।


Loving Newspoint? Download the app now